गहन समाधि की अवस्था में सत्त्व गुण (सात्त्विक तत्व) अधिक सक्रिय रहता है। इसके कुछ प्रमुख कारण हैं:
- मन की शुद्धि और स्थिरता
समाधि में मन पूरी तरह से एकाग्र और शांत हो जाता है।
रजोगुण (गतिशीलता) और तमोगुण (जड़ता) निष्क्रिय हो जाते हैं, जिससे सत्त्व गुण प्रभावी होता है।
- चेतना का उच्च स्तर
समाधि की अवस्था में साधक अपनी चेतना को उच्चतम स्तर पर ले जाता है।
यह अवस्था आत्मज्ञान, शुद्ध बुद्धि और दिव्य प्रकाश से जुड़ी होती है, जो सत्त्व गुण की विशेषता है।
- निर्मलता और पवित्रता का प्रभाव
सत्त्व गुण हल्का, शुद्ध और ज्ञानमय होता है।
गहन समाधि में अहंकार, वासनाएँ और सांसारिक विचार विलुप्त हो जाते हैं, जिससे यह गुण अधिक प्रभावी हो जाता है।
- प्राकृतिक तत्वों का सामंजस्य
शरीर में पाँच तत्व (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) होते हैं।
समाधि में “आकाश तत्व” और “प्राण ऊर्जा” अधिक सक्रिय होती है, जिससे व्यक्ति आत्मसाक्षात्कार की ओर बढ़ता है।
इसलिए, गहन समाधि की अवस्था में सत्त्व गुण और आकाश तत्व (Ether Element) प्रमुख रूप से सक्रिय रहते हैं, जो आध्यात्मिक जागरूकता और परम आनंद का अनुभव कराते हैं।गहन समाधि की अवस्था में सत्त्व गुण (सात्त्विक तत्व) अधिक सक्रिय रहता है। इसके कुछ प्रमुख कारण हैं:
1. मन की शुद्धि और स्थिरता
समाधि में मन पूरी तरह से एकाग्र और शांत हो जाता है।
रजोगुण (गतिशीलता) और तमोगुण (जड़ता) निष्क्रिय हो जाते हैं, जिससे सत्त्व गुण प्रभावी होता है।
2. चेतना का उच्च स्तर
समाधि की अवस्था में साधक अपनी चेतना को उच्चतम स्तर पर ले जाता है।
यह अवस्था आत्मज्ञान, शुद्ध बुद्धि और दिव्य प्रकाश से जुड़ी होती है, जो सत्त्व गुण की विशेषता है।
3. निर्मलता और पवित्रता का प्रभाव
सत्त्व गुण हल्का, शुद्ध और ज्ञानमय होता है।
गहन समाधि में अहंकार, वासनाएँ और सांसारिक विचार विलुप्त हो जाते हैं, जिससे यह गुण अधिक प्रभावी हो जाता है।
4. प्राकृतिक तत्वों का सामंजस्य
शरीर में पाँच तत्व (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) होते हैं।
समाधि में “आकाश तत्व” और “प्राण ऊर्जा” अधिक सक्रिय होती है, जिससे व्यक्ति आत्मसाक्षात्कार की ओर बढ़ता है।
इसलिए, गहन समाधि की अवस्था में सत्त्व गुण और आकाश तत्व (Ether Element) प्रमुख रूप से सक्रिय रहते हैं, जो आध्यात्मिक जागरूकता और परम आनंद का अनुभव कराते हैं।