बिल्कुल सही लिखा है ये फणा के विपरीत है पर फणा की स्तिथि बहुत कम देखने को।मिलती है जिसमे फना पैदा हो गया वो केवल्य योग ले लेता झा उसकी कोई इच्छा नही रहती सब अपने आराध्य पर छोड़ देता है जंसरिक मोह खत्म हो वैराग्य उतपन्न हो वो ईश्वर में लय हो जाता है

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