सूक्ष्म कारण शरीर से ब्रह्मांड के आंतरिक्ष की सैर” एक रहस्यमयी और आध्यात्मिक अवधारणा है जो योग, ध्यान और भारतीय दर्शन में वर्णित होती है। इसे समझने के लिए हमें पहले यह जानना होगा कि “सूक्ष्म शरीर” और “कारण शरीर” क्या होते हैं।
- तीन शरीरों की अवधारणा (त्रिविध शरीर)
भारतीय योग और वेदांत दर्शन में मनुष्य के तीन शरीर माने गए हैं:
स्थूल शरीर (Physical Body): यह भौतिक शरीर है, जिसे हम देख और छू सकते हैं।
सूक्ष्म शरीर (Subtle Body): यह मन, बुद्धि, अहंकार और प्राण से बना होता है। यह शरीर मृत्यु के बाद भी जीवात्मा के साथ बना रहता है।
कारण शरीर (Causal Body): यह शरीर कर्मों के बीज, संस्कार और अविद्या से बना होता है। यह आत्मा का सबसे सूक्ष्म आवरण है।
- सूक्ष्म और कारण शरीर की यात्रा
जब कोई योगी अथवा साधक गहन ध्यान या समाधि की अवस्था में होता है, तब वह अपने स्थूल शरीर से परे जाकर सूक्ष्म और कारण शरीर के माध्यम से अनुभव करता है। इस अवस्था में:
शरीर स्थिर होता है।
चेतना सूक्ष्म स्तर पर कार्य करती है।
साधक astral travel (आत्मिक यात्रा) या ब्रह्मांडीय यात्रा कर सकता है।
- ब्रह्मांड की सैर कैसे संभव है?
सूक्ष्म शरीर समय और स्थान से परे कार्य कर सकता है। जब साधक:
अपने मन को पूर्ण रूप से नियंत्रित कर लेता है,
प्राणायाम और ध्यान की उच्च अवस्था में प्रवेश करता है,
और इंद्रियों से परे जाकर आत्मा की चेतना को अनुभव करता है,
तो वह ब्रह्मांड के किसी भी भाग में यात्रा कर सकता है — जैसे ग्रह, नक्षत्र, लोक, या सूक्ष्म जगत।
- ऐसे अनुभवों का वर्णन
ऋषि-मुनियों ने इसका वर्णन किया है:
महर्षि पतंजलि के योगसूत्र में सिद्धियों का उल्लेख है।
श्रीमद्भागवतम में नारद मुनि की सूक्ष्म यात्रा का वर्णन है।
योगियों के अनुभवों में अंतरिक्ष यात्रा, दिव्य दृष्टि और भविष्यदर्शन की चर्चा मिलती है।
निष्कर्ष:
सूक्ष्म कारण शरीर के माध्यम से ब्रह्मांड की यात्रा केवल एक कल्पना नहीं, बल्कि एक गहन साधना का परिणाम है। यह अनुभव उन लोगों को होता है जिन्होंने मन, इंद्रियों और सांस को पूर्णतः साध लिया हो।