मिलते न अगर तुम तो हम
बेगाने की तरह रहते
जीते अनजान बन के कोई
मददगार न मिलते
आये जब से तुम इस जीवन मे
बहार आगई है
जीवन जीने का तरीका बदल
नई शेली जीवन मे
आगई है अब तो न मिलु तुमसे तो
जिंदगी व्यर्थ नजर आती है बस
गए हो तुम आत्मा में ऐसे की
जीवन
में हर पल तुम्हारी ही याद बनी
रहती हैं
होती है कोशिश की याद रखु
पर जब भी
उलझ जाता हूं काम मे तेरी याद
मुझसे दूर हो कही मन के
कोने में छुप जाती है
कोशिश तो बहुत करता हु की
तेरी याद
बनी रहे ये भौतिक दुनिया है यारो
अध्य्या तमिकता तो बहुत बाद
समाधि में
समाधिस्थ हो इस जीवन मे
आती है
पर इसके लिए जीवन मे गुरु रूप मे
गुरु प्रेवेश कर जब आत्मा में
समाते है तब
ओम रूप में प्रगट हो जीवन का
एक विकल्प बन आत्मा ओम रूप में रम जाती है

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