।आज फिर न जाने क्यों मन मेआया की आईने से कुछ पुछु क्योकि आईना कभी झूठ नही बोलता ओर सत्संग में चलने वालों का कभी ईमान नही डोलता है ईमान उनके संग ओर सत पर टिका रहता है जो समर्पित होते है मेरे द्वारे पर न मिले भोजन तो कभी चुरा के नही खाता भूख दुनिया छोड़ सकता है लर उसका ईमान कभी नही डगमगाता जानते हो ऐसे व्यक्ति गुरु के परम भक्त होते है नही करते बईमानी चोरी झूटी शिकायत ओर धोखेबाजी क्योकि उनका दिल पहले से ही गुरु शरण मे होता है चाहे कितना ही कुछ करलो अपने ईमान पर टिका होता है जो होते है समर्पित अपने ईमान के प्रति ईश्वर भी उनपर नजर रखता है ले लेता है कदम कदम पर परीक्षा फिर उसे अपनी गोद मे बैठकर मुक्त कर उसे अपने दरबार मे जगह संत की देता है बात आईने की सुन मैं घबरा गया और पसीने पसीने हो सोचने लगा कि ये क्या कह रहा है अगर मुझमे होते ये गुण तोक्यो मुझे आईना बताता की कैसे बनते है संत ये राज क्यो बताता मैं पतित दोषो से भरा जिसके दिल मे कपट भरा आज तक भी सच क्या होता है ये जान न पाया व्यर्थ ही दिखावा कर लोगो को बेवकूफ बनाया आज समझ गया अगर उसे पाना है तो घर बार मोह त्याग कर उसके प्रति समर्पित होना होगा जीवन के बचे क्षण गुरु देव को समर्पित करना होगा जो किये कर्म उनका प्रायश्चित करना होगा फिर जब गुनाह कम हो उनका फल मिलने लगेगा सोचले पवन तब तुझे ज्ञान का मसर्ग मिलके लगेगा होगी उसके प्रेम की वर्षा उस जल में सारे पाप धुल जायेगे ओर आध्यात्मिक ज्ञान भक्ति ध्यान और समाधि के सभी गुण तुझमे आ जायेगा रोम।रोम हरि नाम से गूंज उठेगा तू सीख जाएगाक्या होता है समर्पण पर इस जन्म में तो नही पर अगले जन्म में मोक्ष हो गुरु चरणों मे पहुच जाएगा

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