द्वैत से अद्वैत तक: भेद से एकत्व की यात्रा

द्वैत और अद्वैत के मुख्य अंतर निम्नलिखित हैं:1. अस्तित्व की व्याख्याद्वैत: द्वैत दर्शन में माना जाता है कि ब्रह्म (परमात्मा), जीव (आत्मा) और जगत् तीनों स्वतंत्र और विभिन्न हैं। जीवात्मा और ईश्वर दोनों अलग-अलग अस्तित्व हैं। संसार वास्तविक है और ईश्वर का सृजन है। भेदभाव (dualism) को स्वीकार किया जाता है।अद्वैत: अद्वैत दर्शन में जीवात्मा और ब्रह्म एक ही माने जाते हैं। यह कहता है कि भेद केवल माया (भ्रम) है, वास्तविकता में सब एक है। संसार माया है, और परम सत्य केवल ब्रह्मांतर्गत एकत्व है।2. ईश्वर एवं जीव का संबंधद्वैत: ईश्वर और जीव अलग-अलग हैं; जीव ईश्वर का सेवक है, और उनका संबंध स्वामी-सेवक का है।अद्वैत: जीव और ईश्वर एक हैं; कोई भेद नहीं है। आत्मा और परमात्मा की पहचान समान है।3. संसार का स्वरूपद्वैत: संसार को वास्तविक माना जाता है।अद्वैत: संसार को माया या आभास माना जाता है, जो असत्य है।4. दर्शन का लक्ष्यद्वैत: ईश्वर की भक्ति और सेवा के द्वारा मोक्ष प्राप्ति पर बल देता है।अद्वैत: ज्ञान (ब्रह्म ज्ञान) के द्वारा माया को समझकर एकत्व का अनुभव करना मोक्ष है।5. प्रमुख प्रवर्तकद्वैत: स्वामी माधवाचार्यअद्वैत: आदि शंकराचार्य

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