सूर्य-चंद्र तरंगें: जब प्रकृति की ऊर्जा बनती है साधना का माध्यम

सूर्य और चंद्र की किरणें जब गुरु की ऊर्जा के साथ मिल।कर शिष्य में तरेंग के माध्यम से मानव शरीर और मन पर गहरा आध्यात्मिक प्रभाव डालती हैं। सूर्य की किरणों में जो प्रकाश अणु निकलते हैं, वे न केवल भौतिक ऊर्जा देते हैं बल्कि सूक्ष्म प्रकम्पन भी उत्पन्न करते हैं जो शरीर के सूक्ष्म चक्रों और प्राण ऊर्जा प्रणालियों को सक्रिय करते हैं। इन किरणों के सम्पर्क से शरीर में जीव ऊर्जा और प्राण चेतना का प्रवाह बढ़ता है, जिससे मानसिक शुद्धि, आत्मिक पवित्रता, और स्वास्थ्य में सुधार होता है।चन्द्रमा की शीतल और शीतलता देने वाली किरणें विशेष रूप से मानसिक और भावनात्मक संतुलन पर काम करती हैं। चन्द्र की रोशनी शरीर के जल तत्व को प्रभावित करके भावनात्मक स्थिरता प्रदान करती है, मानसिक तनाव कम करती है, और नींद की गुणवत्ता सुधारती है। चन्द्र की शीतल ऊर्जा सूक्ष्म तरंगों की तरह नादब्रह्म की तरह कार्य करती है, जो मन और भावनाओं को शान्त कर आध्यात्मिक अनुभवों को बढ़ावा देती है।ध्यान और सूर्य-चन्द्र को देखकर साधना करने से इन सूक्ष्म तरंगों और ऊर्जा संचार का अनुभव होता है, जिससे व्यक्ति की आन्तरिक चेतना जागृत होती है और प्राणिक ऊर्जा संतुलित होती है। इस प्रकार सूर्य की प्रकाश तरंगें और चन्द्रमा की शीतल तरंगें मिलकर शरीर के सूक्ष्म स्तर पर प्राण ऊर्जा और आध्यात्मिक परिसंचरण को प्रभावित करती हैं।अतः सूर्य किरणों से निकलने वाले प्रकाश अणु न केवल भौतिक शरीर को, बल्कि सूक्ष्म शरीर और मस्तिष्क की ऊर्जा प्रणालियों को सक्रिय करते हैं, जबकि चन्द्रमा की किरणें मानसिक और भावनात्मक स्तर पर स्थिरता और शान्ति प्रदान करती हैं। यह दोनों प्रकार की सूक्ष्म तरंगे मानव जीवन के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक पक्षों को संतुलित करती हैं

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