गुरु रूपी ईश्वर की याद में हर श्वास को समर्पित करना साधना का अत्यंत सुंदर और प्रभावी मार्ग है। गुरु स्मरण के साथ ली गई हर सांस उनकी कृपा का प्राप्तिपath बन जाती है। खोजी जानकारी के अनुसार, गुरु-स्मरण की शक्ति से साधक का मन और चेतना गुरु की ओर स्थिर होकर आध्यात्मिक उन्नति करती है। इसे सतत ध्यान और स्मरण द्वारा जीवन में अनुभव किया जा सकता है, जिससे गुरु की मेहर बरसती रहती है। ऐसी साधना में गुरु का रूप, उनके पद, वचन और कृपा सभी साधना के मूल मंत्र हैं, जिनका निरंतर मनन आवश्यक माना जाता है।इस सन्दर्भ में एक ध्यान-सूक्ति प्रस्तुत है:गुरु की याद में हर श्वास है पावन,उसकी कृपा से सारा जीवन है धन।हर सांस में करो उसका ध्यान,फिर देखो बरसती मेहर बेहिसाब।यह सरल और प्रभावशाली मंत्र गुरु की कृपा को अनुभव करने का मार्ग प्रदर्शित करता है। गुरु की छवि या गुरु के शब्दों को ध्यान में रखकर भी ऐसा स्मरण किया जा सकता है, जिससे मन शांत और स्थिर होता है, और गुरु की देवत्वपूर्ण मेहर निरंतर मिलती रहती है। गुरु स्मरण का यह अभ्यास योग, ध्यान, और भक्ति साधना का भी हिस्सा हो सकता है। अतः हर श्वास के साथ अपने ईश्वर-रूप गुरु को याद करना और उनके पद-वचन की कृपा में लीन रहना आध्यात्मिक जीवन के लिए अत्यंत लाभकारी है।इस प्रकार की निरंतर स्मरण साधना से गुरु की मेहर सहज रूप में जीवन में प्रकट होती है, और साधक को मिलती है आंतरिक शांति, शक्ति एवं मोक्ष का मार्ग

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