गुरु द्वारा दी गई गुदड़ी (ज्ञान, आशीर्वाद या आध्यात्मिक वस्त्र) अत्यंत कीमती और पवित्र मानी जाती है। शिष्य को इसे बहुत ध्यानपूर्वक ग्रहण करना चाहिए और पहनते समय गहरी श्रद्धा, समर्पण और सतर्कता रखनी चाहिए। गुदड़ी गुरु की कृपा, शक्ति और संरक्षण का संकल्प है, इसलिए इसे सम्मान और विश्वास के साथ धारण करना चाहिए।गुरु के प्रति श्रद्धा, आज्ञाकारिता और ध्यान की स्थिति में शिष्य की यह गुदड़ी उसके जीवन में आध्यात्मिक उन्नति और सुरक्षा का माध्यम बनती है। इसे केवल एक भौतिक वस्तु न समझकर गुरुदेव की अनंत कृपा और उपदेश का प्रतीक मानकर उसकी रक्षा करनी चाहिए। गुरु की दी हुई वस्तुओं को समर्पित भाव से ग्रहण करना गुरु-शिष्य संबंध की गहराई को दर्शाता है और शिष्य को गुरु की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कृपा प्राप्त होती है��.इस प्रकार, गुरु द्वारा बक्शी गई गुदड़ी को शिष्य को पूरी श्रद्धा और सावधानी से ग्रहण कर पहनना चाहिए, इसे सत्कर्मों और गुरु की आज्ञा के पालन में लगाना चाहिए ताकि गुरु की कृपा सदैव बनी रहे और शिष्य का आध्यात्मिक मार्ग सुगम हो।
HomeVachanगुरु द्वारा दी गई गुदड़ी (ज्ञान, आशीर्वाद या आध्यात्मिक वस्त्र) अत्यंत कीमती और पवित्र मानी जाती है। शिष्य को इसे बहुत ध्यानपूर्वक ग्रहण करना चाहिए और पहनते समय गहरी श्रद्धा, समर्पण और सतर्कता रखनी चाहिए। गुदड़ी गुरु की कृपा, शक्ति और संरक्षण का संकल्प है, इसलिए इसे सम्मान और विश्वास के साथ धारण करना चाहिए।गुरु के प्रति श्रद्धा, आज्ञाकारिता और ध्यान की स्थिति में शिष्य की यह गुदड़ी उसके जीवन में आध्यात्मिक उन्नति और सुरक्षा का माध्यम बनती है। इसे केवल एक भौतिक वस्तु न समझकर गुरुदेव की अनंत कृपा और उपदेश का प्रतीक मानकर उसकी रक्षा करनी चाहिए। गुरु की दी हुई वस्तुओं को समर्पित भाव से ग्रहण करना गुरु-शिष्य संबंध की गहराई को दर्शाता है और शिष्य को गुरु की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कृपा प्राप्त होती है��.इस प्रकार, गुरु द्वारा बक्शी गई गुदड़ी को शिष्य को पूरी श्रद्धा और सावधानी से ग्रहण कर पहनना चाहिए, इसे सत्कर्मों और गुरु की आज्ञा के पालन में लगाना चाहिए ताकि गुरु की कृपा सदैव बनी रहे और शिष्य का आध्यात्मिक मार्ग सुगम हो।