sohamkendra

तरीक़त

तरीक़त का अर्क़ है  मुर्शिद से ताल्लुक़ मुर्शिद से मोहब्बत और उसपर मुक़म्मल यक़ीन।  अर्क़ – ज्योति, प्रकाश मुर्शिद- सतगुरु ताल्लुक- सम्बन्ध मोहब्बत- प्रेम...

Read More

धर्म

किसी भी धर्म मे मैं का प्रयोग कहि न कहि अहम को बताता है इसलिए व्यक्ति कॉम क्रोध लोभ मोह अहंकार इर्ष्या द्वेष राग...

Read More

इंसान का कल्ब़

इंसान का कल्ब़ एक लाख अस्सी हज़ार जालों से जकड़ा होता है, जिसको कोई कामिल जा़त यानि सतगुरु ही अपनी नज़रे कीमियां से जला...

Read More

आज फिर जब मैं

आज फिर जब मैं मन के शीशे के सामने पहुचा तो हैरान रह गया शीशा बोला आ गए फिर से  आ जाओ मेरा द्वार...

Read More

उलझन 

पिताजी का फरमाना था कक मन की कोई भी उलझन  यदि हमें परेशान करती है तो उसे यदि गुरु के समक्ष  नही कह पा...

Read More

चिंतन

मैंने पढ़ा था लेकिन जाना नहीं था अपने चिंतन अपनी उलझनों को एक बार पूरे मन से व्यक्त कर दिया जाए लिख दिया जाए...

Read More

ज्ञान और गुरु

बिना ज्ञान और गुरु के कुछ भी संभव नही है इसलिये जीवित ओर पूर्ण गुरु मिलना इस जीवन मे जरूरी है जो हमे ज्ञान...

Read More

मोक्ष कि अवस्था

कोई सदाचारी साधक सूक्ष्म ध्यान के द्वारा आंतरिक ब्रहमज्योती और ब्रह्म नाद (शब्द) को प्राप्त करता है, तब उसे आत्मज्ञान होता है साथ ही...

Read More