अध्यात्म का सार मानवता, समता, और धर्म निरपेक्षता में निहित है। असली आध्यात्मिकता वही है जो धर्म, जाति, भाषा, और सम्प्रदाय से परे होकर...
अध्यात्मिक फ़क़ीर संत महात्मा की विशेषताएँ और उनकी आध्यात्मिक स्थिति निम्नलिखित होती हैं:
संतों की साधना उनके आत्म-साक्षात्कार और ईश्वर-प्राप्ति के मार्ग में अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। उनकी साधना गहन तपस्या, भक्ति, ज्ञान, और वैराग्य से युक्त...
निर्विचार ध्यान: मन को शून्य करने का अभ्यास। साक्षी भाव का अभ्यास: विचारों और भावनाओं को बिना जुड़ाव के देखना। आत्मविचार (Self-Inquiry): “मैं कौन...
अहंकार शून्यता वह अवस्था है जिसमें व्यक्ति “मैं” और “मेरा” की भावना से पूरी तरह मुक्त हो जाता है। यह अद्वैत वेदांत और योग...
निर्विचार ध्यान: मन को शून्य करने का अभ्यास। साक्षी भाव का अभ्यास: विचारों और भावनाओं को बिना जुड़ाव के देखना। आत्मविचार (Self-Inquiry): “मैं कौन...
अहंकार शून्यता वह अवस्था है जिसमें व्यक्ति “मैं” और “मेरा” की भावना से पूरी तरह मुक्त हो जाता है। यह अद्वैत वेदांत और योग...
पूर्ण वैराग्य तब संभव है जब इंसान संसार के सुख-दुःख, सफलता-असफलता, और रिश्तों के बंधनों से ऊपर उठकर समभाव में स्थित हो जाए। इसके...
आध्यात्मिक दृष्टिकोण में, “वाहित शरीर” (या “वायुमय शरीर”) उस सूक्ष्म शरीर को कहा जाता है जो हमारे प्राण (जीवन ऊर्जा) और मन के संकल्पों...