Guru Ji

अध्यात्म का सार

अध्यात्म का सार मानवता, समता, और धर्म निरपेक्षता में निहित है। असली आध्यात्मिकता वही है जो धर्म, जाति, भाषा, और सम्प्रदाय से परे होकर...

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संतों की साधना

संतों की साधना उनके आत्म-साक्षात्कार और ईश्वर-प्राप्ति के मार्ग में अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। उनकी साधना गहन तपस्या, भक्ति, ज्ञान, और वैराग्य से युक्त...

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अहंकार शून्यता

अहंकार शून्यता वह अवस्था है जिसमें व्यक्ति “मैं” और “मेरा” की भावना से पूरी तरह मुक्त हो जाता है। यह अद्वैत वेदांत और योग...

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अहंकार शून्यता

अहंकार शून्यता वह अवस्था है जिसमें व्यक्ति “मैं” और “मेरा” की भावना से पूरी तरह मुक्त हो जाता है। यह अद्वैत वेदांत और योग...

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पूर्ण वैराग्य

पूर्ण वैराग्य तब संभव है जब इंसान संसार के सुख-दुःख, सफलता-असफलता, और रिश्तों के बंधनों से ऊपर उठकर समभाव में स्थित हो जाए। इसके...

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वाहित शरीर

आध्यात्मिक दृष्टिकोण में, “वाहित शरीर” (या “वायुमय शरीर”) उस सूक्ष्म शरीर को कहा जाता है जो हमारे प्राण (जीवन ऊर्जा) और मन के संकल्पों...

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