यह वाक्य बहुत गहरी बात कहता है।“गुरु और शिष्य में कृष्ण-अर्जुन जैसा बंधन हो तभी मुक्ति है” — इसका अर्थ यह है कि जब...
पिताजी साहब जब भी घर पर सत्संग होता रहा है ओर शिष्य घ्यान करने के लिए आते थे उनको एक ही बात कहते थे...
पिताजी साहब का गुरु पद प्राप्त होने के बाद वो अपने शिष्यों को तवज्जुह या दीक्षा क्लब जाकिर यानी हृदय के समीप आत्मा के...
यह सत्य है कि जब कोई व्यक्ति कार्यों में व्यस्त होता है, तो उसका ध्यान पूरी तरह अपने इष्ट या अनाहद नाद पर स्थिर...
पिताजी साहब का गुरु पद प्राप्त होने के बाद वो अपने शिष्यों को तवज्जुह या दीक्षा क्लब जाकिर यानी हृदय के समीप आत्मा के...
यह सत्य है कि जब कोई व्यक्ति कार्यों में व्यस्त होता है, तो उसका ध्यान पूरी तरह अपने इष्ट या अनाहद नाद पर स्थिर...
पिताजी साहब जब गुरु भगवान राधामोहन लाल जी के शिष्य बन उसी दिन उन्होंने अपनी पूर्ण कृपा पिताजी की आत्मा के साथ ले कर...
हमारी आत्मा को सोते-जागते अनाहद (नाद, शुद्ध चेतना, ईश्वर के साथ निरंतर जुड़ाव) पर बनाए रखने के लिए नियमित साधना और जीवनशैली में बदलाव...
यह सत्य है कि जब कोई व्यक्ति कार्यों में व्यस्त होता है, तो उसका ध्यान पूरी तरह अपने इष्ट या अनाहद नाद पर स्थिर...
आध्यात्मिक जीवन का अर्थ व्यक्ति की आस्था, अनुभव, और चेतना के स्तर पर निर्भर करता है। यह केवल केवल्य (मोक्ष या आत्मबोध) प्राप्त करने...