इन द्वारों को पार करने के लिए ध्यान, भजन, और नाम-स्मरण की साधना की जाती है। सतगुरु की कृपा और मार्गदर्शन के बिना इन...
राधास्वामी मत में ‘दस द्वार’ आत्मा की आंतरिक यात्रा और चेतना के विभिन्न स्तरों का प्रतीक हैं। इन द्वारों को पार करके साधक उच्च...
गुरु कृपा: केवल गुरु की कृपा से ही माया, भ्रम, अहंकार, और विकारों से मुक्ति संभव है। नाम-भक्ति: ‘नाम’ का स्मरण करते हुए आत्मा...
अध्यात्म में माया, भ्रम, अहंकार, और विकार को आत्मा की आध्यात्मिक यात्रा में सबसे बड़े बाधक माना गया है। इनसे मुक्त होकर ही आत्मा...
“आध्यात्मिक आचरण” का अर्थ है अपने विचारों, शब्दों और कर्मों में पवित्रता, संयम, और सत्यनिष्ठा को बनाए रखना। इसमें अहिंसा, दया, करुणा, और क्षमा...
नाद योग में आंतरिक ध्वनियों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। इसे अनाहत नाद (बिना किसी बाहरी टकराव के उत्पन्न ध्वनि) सुनने की प्रक्रिया...
इसका आध्यात्मिक अर्थ: यह धड़कन आत्मा और परमात्मा के मिलन का प्रतीक है। यह याद दिलाती है कि आत्मा (जीवात्मा) और परमात्मा (परमात्मा) अलग...
हृदय की धड़कन (धक-धक) जीवित होने का प्रमाण है और यह प्राण ऊर्जा (जीवन शक्ति) का संकेत देती है। योग और ध्यान में इसे...
प्रतिदिन ध्यान (मेडिटेशन) में बैठें और “ओम” या “सोऽहं” का मानसिक जाप करें। सांस के साथ मंत्र को जोड़ें: अंदर जाते समय “सो” और...
ओम: यह ब्रह्मांड की आदिशक्ति और अनहद नाद (बिना टकराव के ध्वनि) मानी जाती है। इसे सभी ध्वनियों का स्रोत माना गया है और...