Guru Ji

अहंकार शून्यता

अहंकार शून्यता वह अवस्था है जिसमें व्यक्ति “मैं” और “मेरा” की भावना से पूरी तरह मुक्त हो जाता है। यह अद्वैत वेदांत और योग...

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अहंकार शून्यता

अहंकार शून्यता वह अवस्था है जिसमें व्यक्ति “मैं” और “मेरा” की भावना से पूरी तरह मुक्त हो जाता है। यह अद्वैत वेदांत और योग...

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पूर्ण वैराग्य

पूर्ण वैराग्य तब संभव है जब इंसान संसार के सुख-दुःख, सफलता-असफलता, और रिश्तों के बंधनों से ऊपर उठकर समभाव में स्थित हो जाए। इसके...

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वाहित शरीर

आध्यात्मिक दृष्टिकोण में, “वाहित शरीर” (या “वायुमय शरीर”) उस सूक्ष्म शरीर को कहा जाता है जो हमारे प्राण (जीवन ऊर्जा) और मन के संकल्पों...

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अध्यात्म

अध्यात्म में जब कोई शिष्य किसी संत के पास जाता है और उसे कृपा का अनुभव होता है, जैसे ठंडी सांस या शांति महसूस...

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आत्म-साक्षात्कार

एक उच्च कोटि के आध्यात्मिक संत के जीवन में सम्पूर्ण वैराग्य और पूर्ण रूप से समाधि की अवस्था तब आती है जब वे आत्म-साक्षात्कार...

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