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अनाहत नाद: उपनिषदों से सीखें परम चेतना की साधना

उपनिषदों के अनुसार, नाद ब्रह्म (शब्द-ब्रह्म) वह दिव्य ध्वनि है जिससे ब्रह्मांड की उत्पत्ति होती है। यह अनाहत नाद कहलाता है, जो किसी भी...

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शून्यता से पूर्णता तक: अद्वैत का अनुभव और महालय का दर्शन

शून्य में शून्य मिलने और अंतः एकात्मकता के दर्शनिक तथा आध्यात्मिक अर्थों पर विस्तृत व्याख्या इस प्रकार है:दर्शनिक अर्थशून्यता और पूर्णता का यह विचार...

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शक्तिपात: गुरु की कृपा से जागृत होता आंतरिक प्रकाश

गुरु अपने मनचाहे शिष्य को शक्तिपात इसलिए करते हैं ताकि उस शिष्य को दिव्य ऊर्जा, ज्ञान और आत्मज्ञान की जागृति मिल सके। शक्तिपात एक...

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