October 2, 2025 भीतर के रावण पर विजय: आत्म-शुद्धि की यात्रा आज दशहरे के दिन बरसात में भीमकाय रावण के पुतले को भीगते देखा और पल भर में उनका रूप विकृत हो गया उनको जलने... Read More
October 1, 2025 जीवित वीतरागी: जीवन रहते ही मुक्ति का अनुभव “जीवित वीतरागी” का अर्थ है – ऐसा साधक या महापुरुष जो जीवन रहते हुए (शरीर सहित) राग-द्वेष से मुक्त हो चुका है।अध्यातम दुनिया मे... Read More
September 30, 2025 धर्म का सार: करुणा, सेवा और मानवता “मानव है और मानवता ही धर्म है” इस विचार का अर्थ है कि मानव होने का सार मानवता में निहित है, और मानवता ही... Read More
September 30, 2025 साक्षी आत्मा और भोग का रहस्य: वेदांत, बौद्ध व संत दृष्टि आदरणीय राठौर अंकल मेरी समझ के अनुसार आत्मा के साथ जो सूक्ष्म शरीर रहता है वही सुख दुख स्वर्ग नरक को अनुभव करता है... Read More
September 29, 2025 छठे तत्व की खोज: आत्मा का पंचमहाभूत से परे असली स्वरूप मैं आत्मा हु ओर साधना से मुझे समझ मे आ गया कि भूमि।पानी आग वायु और आकाश इन सब से अलग मेरा आत्मा का... Read More
September 28, 2025 समाधि की पराकाष्ठा: जहाँ ‘मैं’ नहीं, केवल ज्योति है समाधि की उच्च अवस्था जहा न मैं न तो बस है तो प्रकाश बिंदु ओर कुछ नही अंधेरा गम हो।कर एक प्रकाश बिंदु शेष... Read More