September 25, 2025 हनुमान, मीरा और राधा: भक्ति के तीन अद्भुत आयाम हनुमान, मीरा और राधा तीनों की भक्ति अलग-अलग प्रकार की है और उनकी भक्ति का स्वरूप तथा उनका आदर्श अलग है, इसलिए सीधे तुलना... Read More
September 25, 2025 जब साधक और साध्य एक हो जाएँ “मैं से मैं की पहुँच और तू बीच में फिर क्या हो” एक रहस्यात्मक सूक्ति या सूफियाना चिंतन जैसी लगती है, जिसमें गहरी आत्मबोध... Read More
September 24, 2025 त्रिपुटि से एकत्व तक: भारतीय दर्शन का उज्ज्वल मार्ग एकत्ववाद का अर्थ है “एकता का सिद्धांत” या “मौनवाद” जिसमें सभी वस्तुओं, जीवों, और घटनाओं की वास्तविकता में एक ही मूल तत्व या सार... Read More
September 24, 2025 जीवन का लक्ष्य गुरु के द्वारा आज्ञा चक्र, प्राणवायु चक्र, सहस्रार चक्र, मूर्धा, कूर्म नाड़ी, प्राण और आत्मा का गमन, ऊर्जा के सहारे चक्र भेदन और गुरु द्वारा शक्तिपात —... Read More
September 24, 2025 मैं’ और ‘तू’ की खोज: अद्वैत और भक्ति के बीच पुल “मैं” (अहं, अहंकार, व्यक्तिगत पहचान) और “तू” (ईश्वर, परमसत्ता, या दुसरा/अन्य) के बीच के संबंध की खोज है।व्याख्या”जानता हूं मैं का अस्तित्व नहीं है”... Read More
September 24, 2025 संत परंपरा में उत्तराधिकार: परंपरा, परिवार और संरक्षण का संतुलन संत किंगद्दी जैसे उच्च कोटि के संतों का हकफसर (उत्तराधिकारी) आमतौर पर उनके परिवार वाले ही होते हैं, न कि अन्य काबिल शिष्य, क्योंकि:पारंपरिक... Read More