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संत शिष्य को केवल्य पद (मोक्ष या आत्म-साक्षात्कार) पर ले जाने के लिए निम्नलिखित कार्य करते हैं: संत का मुख्य कार्य शिष्य को आत्मबोध...

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पूर्ण वैराग्य तब संभव है जब इंसान संसार के सुख-दुःख, सफलता-असफलता, और रिश्तों के बंधनों से ऊपर उठकर समभाव में स्थित हो जाए। इसके...

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एक उच्च कोटि के आध्यात्मिक संत के जीवन में सम्पूर्ण वैराग्य और पूर्ण रूप से समाधि की अवस्था तब आती है जब वे आत्म-साक्षात्कार...

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किसी भी मनुष्य को आध्यात्मिक कृपा किसी संत की 12 या 13 वर्ष की आयु में संत का आशीर्वाद व घर का माहौल या...

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प्राचीन गुरु परम्परा भारतीय अध्यात्म में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह परम्परा गुरु-शिष्य संबंध पर आधारित है, जहाँ ज्ञान और आध्यात्मिक अनुभूति का...

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स्वार्थ रहित होना और निष्काम कर्म करना व्यक्ति के आंतरिक विकास और समाज के कल्याण के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। जब हम बिना किसी...

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