March 8, 2025 पूर्ण वैराग्य पूर्ण वैराग्य तब संभव है जब इंसान संसार के सुख-दुःख, सफलता-असफलता, और रिश्तों के बंधनों से ऊपर उठकर समभाव में स्थित हो जाए। इसके... Read More
March 8, 2025 वाहित शरीर आध्यात्मिक दृष्टिकोण में, “वाहित शरीर” (या “वायुमय शरीर”) उस सूक्ष्म शरीर को कहा जाता है जो हमारे प्राण (जीवन ऊर्जा) और मन के संकल्पों... Read More
March 8, 2025 अध्यात्म अध्यात्म में जब कोई शिष्य किसी संत के पास जाता है और उसे कृपा का अनुभव होता है, जैसे ठंडी सांस या शांति महसूस... Read More
March 8, 2025 1. वीतरागी (जो राग-द्वेष से मुक्त हो): उन्हें किसी भी वस्तु, व्यक्ति या स्थिति से लगाव या घृणा नहीं होती। वे सुख-दुख में समान रहते हैं और बाहरी परिस्थितियों से अप्रभावित... Read More
March 8, 2025 आत्म-साक्षात्कार एक उच्च कोटि के आध्यात्मिक संत के जीवन में सम्पूर्ण वैराग्य और पूर्ण रूप से समाधि की अवस्था तब आती है जब वे आत्म-साक्षात्कार... Read More
March 8, 2025 इंसान सुख व दुख पाता है… इंसान सुख व दुख पाता है अपने किये कर्मो के फल से हे मानव जब तू आ गया है इस संसार मे तो कर्मो... Read More