गुरुदेव की अद्यतमिक।कृपा की राहत और शिष्य की योग्य बनने की चाहत का विषय बहुत गहरा और आध्यात्मिक है, जो गुरु-शिष्य परंपरा, भक्ति और...
इल्लत, किल्लत, जिल्लत’ को झेलकर ही शिष्य पूर्णता की ओर बढ़ता है, यह भारतीय गुरु-शिष्य परंपरा का एक अभिन्न अंग रहा है। आइए इसे...
व्याख्या (अद्वैत वेदांत व सूफ़ी दृष्टिकोण से): संत कबीर इस दोहे के माध्यम से समाज में फैली जाति व्यवस्था की आलोचना करते हैं। वे...
अध्यात्म का कोई धर्म नहीं होता, यह मानवता से जुड़ा होता है। यह जाति, धर्म, या संप्रदाय की सीमाओं से परे है। साधु की...
नाद ब्रह्म की प्राप्ति के बाद मोक्ष की स्तिथि कब किसी इंसान में अति है जब उसका कब्जा आंतरिक्ष में शून्यता में विलीन होता...
समाधि में ध्यान की अवस्था में विचार शून्य हो जाते हैं, क्योंकि मन पूर्णतः एकाग्र और शांत हो जाता है। इस अवस्था में चेतना...
नादब्रह्म की प्राप्ति और मोक्ष की स्थिति के संदर्भ में आपका प्रश्न गहन और दार्शनिक है। भारतीय दर्शन, विशेष रूप से वेदांत और योग...
समाधि में ध्यान की अवस्था में विचार शून्य हो जाते हैं, क्योंकि मन पूर्णतः एकाग्र और शांत हो जाता है। इस अवस्था में चेतना...
अद्यतमिक दुनिया मे गुरु और शिष्य का साथ जन्म।जन्मों से चला आ रहा है और जब जन शिष्य जन्म लेता है तो गुरु देव...