समाधि, ध्यान, मनन, चिंतन, एकाग्रता और तल्लीनता ये सभी आध्यात्मिक और मानसिक अभ्यास के महत्वपूर्ण तत्व हैं, जो व्यक्ति को आत्मज्ञान, शांति और सत्य...
साधु, संत और मुनि का आचरण पवित्र, संयमित और धर्मपरायण होता है। वे सत्य, अहिंसा, त्याग, और करुणा के मार्ग पर चलते हैं। उनके...
ध्यान समाधि की पराकाष्ठा तब आती है जब साधक पूरी तरह से आत्म-विस्मृति (self-forgetfulness) की अवस्था में पहुँच जाता है, जहाँ मन, बुद्धि और...
साधु, संत और मुनि का आचरण पवित्र, संयमित और धर्मपरायण होता है। वे सत्य, अहिंसा, त्याग, और करुणा के मार्ग पर चलते हैं। उनके...
ध्वनि का शरीर और मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। जब ध्वनि विशेष रूप से धुनात्मक (संगीतात्मक या कंपनयुक्त) होती है और उसे ध्यान...
जब अनाहद नाद (अहुर) हृदय में गूंजता है, तो यह परमात्मा की कृपा का संकेत होता है। यह स्थिति तब आती है जब साधक...
सद्गुरु के सान्निध्य में शिष्य के रोम-रोम में अनाहद नाद (स्वतः उत्पन्न ध्वनि) और अजपा जाप (बिना प्रयास के चलने वाला मंत्र जाप) सक्रिय...
पिताजी साहब जिस समय किसी भी शिष्य को शिष्य बन उसके अंदर अपनी आध्यत्मिक ऊर्जा रोपित करते थे तो उसके बाद शिष्य जैसे जैसे...
आंतरिक्ष (स्पेस) में ऊर्जा तो होती है, लेकिन वहाँ प्रकाश या अंधेरा अपने पारंपरिक रूप में मौजूद नहीं होता, क्योंकि प्रकाश को देखने के...
अनाहत चक्र और सहस्रार चक्र की भूमिका अनाहत चक्र (हृदय चक्र) यह चक्र प्रेम, करुणा, और दिव्य ऊर्जा का केंद्र है। यहाँ पर नाद...