Guru Ji

जब आत्मा दिशा चुनती है: उत्तरायण की ओर मोक्ष की यात्रा

श्लोक 8.24 – उत्तरायण मार्ग (देवयान मार्ग) श्लोक: अग्निर्ज्योतिरह: शुक्लः षण्मासा उत्तरायणम्।तत्र प्रयाता गच्छन्ति ब्रह्म ब्रह्मविदो जनाः॥ शब्दार्थ: अग्निः – अग्नि तत्व (प्रकाश, ऊर्जा),...

Read More

सच्चे मन से खोजो तो सद्गुरु अवश्य मिलते हैं: श्रद्धा, संगत और आत्मिक परिवर्तन की यात्रा

शिष्य यदि अज्ञानी हो — तो भी वह सच्चे हृदय से सद्गुरु की तलाश कर सकता है। ज्ञान की शुरुआत ही जिज्ञासा और विनम्रता...

Read More

अनाहद नाद (Anahad Nada) योग, तंत्र, और भारतीय अध्यात्म में एक गहन अवधारणा है, जो आंतरिक ध्वनि या “बिना आघात की ध्वनि” को संदर्भित...

Read More

“सुरीति निरति का पीव है, शब्द विलास विनोद” शब्दार्थ: सुरीति = उत्तम आचरण / शुभ नीति निरति = लगन, गहरी रुचि पीव = प्रियतम...

Read More

“सुरीति निरति का पीव है, शब्द विलास विनोद” शब्दार्थ: सुरीति = उत्तम आचरण / शुभ नीति निरति = लगन, गहरी रुचि पीव = प्रियतम...

Read More

“जिस घर में धर्म का निवास होता है…” इस भाग में यह बताया गया है कि एक ऐसा घर जहाँ धार्मिकता, सदाचार, और नैतिक...

Read More

दोहा:“गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय।बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो बताय॥” शाब्दिक अर्थ:अगर गुरु और ईश्वर दोनों एक साथ सामने हों, तो पहले...

Read More