sohamkendra

मनुष्य

मनुष्य नदी को दो प्रकार से पार कर सकता है, तैरकर और नाव मै बैठकर!इस भवसागर से पार होने मै भक्ति और ज्ञान दो...

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गुरु-शिष्य

गुरु शिष्य पर जब शक्तिपात करता है तो शिष्य के गुण धर्म और सहनशक्ति देख  कर कितनी  वो शक्ति को ग्रहण  कर सकता है...

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गुरुदेव का चिंतन

मैं आदर्श बातों से थोड़ा दूर व्यवहारिक चिंतन और सोच में लग गया हूं क्योंकि आदर्श स्थिति तक पहुंचने के लिए एक बहुत लंबी...

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गुरु को आकर्षित 

हम गुरु को अपनी शान शोकत ओर धन और दिखावे से गुरु को अपनी ओरआकर्षित  करना चाहते है और सोचते इस दिखावे से गुरु...

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शिष्य की ग़लतियाँ

हम शिष्य यूँ तो दिन भर में सैकड़ों ग़लतियाँ करते हैं पर कुछ ग़लतियाँ ऐसी होती है जो हमको गुरु की नज़रों में गिरा...

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ईश्वर

आध्यात्मिक भाषा में, काम के लिए काम करने की प्रतिबद्धता, अर्थात्, सभी के ऊपर अपने कर्तव्यों को प्राथमिकता देना निष्काम कर्म के रूप में...

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गुरु और शिष्य

गुरु की नजर में शिष्य योग्य है तो उसके लिए गुरु का दर्जा ईश्वर तुल्य है और गुरु की मेहर से वो तप कर...

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गुरु के शिष्य

गुरु के पास  बहुत कम शिष्य ऐसे आते है जिनमे गुरु के प्रति निष्ठा समर्पण ओर समर्पित ओर स्वम् के मोक्ष पाने की कामना ...

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गुरु का मूल लक्ष्य

 सदगुरुदेव कहते है के ज्यादा तर लोग गुरु से जुड़ते है और अपने जीवन की परेशानियों का समाधान होने के बाद उन्हे भूल जाते...

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दूसरा जन्म

दूसरे साधकोंमें तो कमी भी रह सकती है और अन्तसमयमें अन्यचिन्तन, मूर्च्छा आदि किसी कारणसे साधनसे विचलित होकर वे योगभ्रष्ट भी हो सकते हैं,...

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