Guru Ji

अनाहद से महा समाधि तक: योग और आत्मिक चेतना की रहस्यमयी यात्रा

“अनाहद”, “महा समाधि”, “नाद ब्रह्म”, “मूर्धा नाड़ी” और “कर्म” जैसे शब्द योग, तंत्र और वेदांत के गूढ़ पहलुओं को दर्शाते हैं। आइए इसे सरलता...

Read More

समाधि वास्तव में एक ऐसी अवस्था है जिसे शब्दों में पूरी तरह व्यक्त करना कठिन होता है, क्योंकि यह अनुभव का विषय है। लेकिन...

Read More

यह वाक्य बहुत गहरी बात कहता है।“गुरु और शिष्य में कृष्ण-अर्जुन जैसा बंधन हो तभी मुक्ति है” — इसका अर्थ यह है कि जब...

Read More

पिताजी साहब जब भी घर पर सत्संग होता रहा है ओर शिष्य घ्यान करने के लिए आते थे उनको एक ही बात कहते थे...

Read More

पिताजी साहब का गुरु पद प्राप्त होने के बाद वो अपने शिष्यों को तवज्जुह या दीक्षा क्लब जाकिर यानी हृदय के समीप आत्मा के...

Read More