Guru Ji

तत्वदर्शी संत: आत्म-ज्ञान से मोक्ष तक का दिव्य पथप्रदर्शक

तत्वदर्शी संत” एक ऐसा शब्द है जिसका अध्यात्म में बहुत गहरा और विशिष्ट अर्थ है। यह केवल एक साधारण संत या धार्मिक व्यक्ति नहीं...

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नाद में विलीन होती पहचान: जब ‘मैं’ मिटता है और ‘तू’ प्रकट होता है

अध्यात्म में ‘मैं’ को मिटाकर ‘तू’ बनने की प्रक्रिया औरअद्यतमिक नाद का महत्व बहुत कुछ मायने रखता है जिसमे मैं’ को मिटाकर ‘तू’ बनने...

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मर्यादा के प्रतीक: लक्ष्मण रेखा और गांधारी का सुरक्षा चक्र

लक्ष्मण रेखा और गांधारी का सुरक्षा चक्र, दोनों ही भारतीय पौराणिक कथाओं में महत्वपूर्ण प्रतीक हैं, जो आधुनिक संदर्भ में भी नैतिक, सामाजिक और...

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मर्यादा से सुरक्षा तक: लक्ष्मण रेखा और गांधारी के प्रतीकात्मक अर्थ

इल्लत, किल्लत, जिल्लत’ को झेलकर ही शिष्य पूर्णता की ओर बढ़ता है, यह भारतीय गुरु-शिष्य परंपरा का एक अभिन्न अंग रहा है। आइए इसे...

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सहस्त्रार चक्र: चेतना का आकाश और मुक्ति का द्वार

सहस्त्रार चक्र शुद्ध चेतना, ज्ञान और ब्रह्मांडीय ऊर्जा से जुड़ा है। आकाश तत्व भी अनंतता, शून्यता और सर्वव्यापकता का प्रतीक है। जब कुंडलिनी ऊर्जा...

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