पंचतत्वों में से वायु और आकाश तत्व ध्यान अवस्था में शरीर को भारहीन (हल्का) महसूस करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वायु तत्व हल्केपन,...
कई आध्यात्मिक परंपराओं में यह माना जाता है कि पूर्ण गुरु अपने शिष्य का मार्गदर्शन न केवल जीवन में बल्कि मृत्यु के बाद भी...
वास्तव में, आध्यात्मिकता केवल बाहरी आडंबरों या मूर्तिपूजा तक सीमित नहीं हो सकती। जब तक मानव अपने भीतर मानवता को नहीं जागृत करता, तब...
तक मन में श्रद्धा, विश्वास और गुरु के प्रति प्रेम नहीं होगा, तब तक आत्मिक उन्नति और कल्याण संभव नहीं है। मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा,...
ईश्वर हमें हमारे दोष कई तरीकों से जाहिर करता है, लेकिन इसे समझने के लिए आत्मचिंतन और जागरूकता जरूरी होती है। कुछ मुख्य तरीके...
पिताजी जब जिंदा थे उनका व्यक्तित्व को देखते तो ऐसा लगता था कि उनको भौतिक दुनिया से कोई लेना देना नही है सिर्फ अपने...
जब कोई व्यक्ति निष्काम कर्म करता है, तो वह संसार में रहकर भी उसमें लिप्त नहीं होता। वह अपने कर्तव्यों को निभाता है लेकिन...
जब शिष्य गहरे आध्यात्मिक अनुभवों से गुजरता है, तो उसकी दृष्टि बदल जाती है। प्रारंभ में, उसे संसार मिथ्या लगने लगता है, मोह टूटता...
अध्यात्म में यदि कोई व्यक्ति अपने सुख को त्यागकर दूसरों का दुख अपने ऊपर लेता है, तो इसे करुणा और परोपकार की उच्च अवस्था...
संत शिष्य को केवल्य पद (मोक्ष या आत्म-साक्षात्कार) पर ले जाने के लिए निम्नलिखित कार्य करते हैं: संत का मुख्य कार्य शिष्य को आत्मबोध...