पिताजी साहब का गुरु और शिष्य के संबंधों के लेकर कहते थे जो शिष्य बिक गया यानी गुरु ने उसे कबूल।कर सब कुछ समर्पित...
गुरु द्वारा आयोजित भंडारे में मुख्य शिष्यों का कर्तव्य न केवल आयोजन को सफल बनाना है, बल्कि इसे एक सेवा और समर्पण के भाव...
निष्काम सेवा का अर्थ: ऐसा कार्य जिसमें किसी भी प्रकार की स्वार्थ सिद्धि या फल की कामना न हो। केवल दूसरों के कल्याण और...
गुरु का मार्गदर्शन और सहायता उनके जीवित रहने के दौरान और मृत्यु के बाद भी अलग-अलग तरीकों से अनुभव की जा सकती है। यह...
अध्यात्म में सबसे जरूरी बात है वह विकार रहित होना जो आज के युग मे विकार रहित होना मुश्किल है मनुष्य कितने ही कर्म...
जिंदगी मिली है तो मरते दम तक एक ही दामन थाम के रहना जिसने दामन थाम लिया माता पिता रूपी गुरु का उसका क्या...
समाधि में अंतिम पड़ाव को समझने के लिए, पहले यह जानना जरूरी है कि समाधि क्या है। समाधि एक गहन मानसिक और आत्मिक अवस्था...
सुफिज्म (सूफीमत) और हिंदुइज्म (हिंदू धर्म) दो अलग-अलग धार्मिक और आध्यात्मिक परंपराएं हैं, और इनमें कई महत्वपूर्ण अंतर हैं: सुफिज्म इस्लाम धर्म की एक...
अध्यात्म में बैत (ध्यान) करना और दिक्सित होना महत्वपूर्ण है क्योंकि ये साधक को आत्म-ज्ञान और आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर करते हैं। बैत...
जब किसी शिष्य को आध्यात्मिक गुरु की तवज्जुह (ध्यान और कृपा) मिलती है, तो उसके आचरण में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन आते हैं। गुरु की...