गीता सार क्यों व्यर्थ की चिंता करते हो? किससे व्यर्थ डरते हो? कौन तुम्हें मार सकता है? आत्मा ना पैदा होती है, न मरती...
जो निष्ठापूर्वक सद्गुरु का अनुसरण करता है वह उसके समान हो जाता है, क्योंकि गुरु अपने शिष्य को अपने ही स्तर तक उठने में...
जानता हूं मेरा जन्म लेना ही मेरे पुनर्जन्म के रहे शेष कर्मो का भुगतान ही कारण है हा ये ही एक मुख्य कारण है...
दर पे तेरे आ के न जाने क्यों अपने आप शीश झुक जाता है देख कर दिल को चैन ओर मन शांत हो जाता...
अगर हममे अपने गुरु के प्रति सच्ची श्रद्धा और विस्वास है तो हम गुरु के द्वारा दी गई ऊर्जा की ग्रहण कर उस काबिल...
मानव आध्यात्मिकता तीन पहलुओं से बनी है: रिश्ते, मूल्य और जीवन का उद्देश्य
गुरु जब शिष्य को गहरा ध्यान करवाते है तो अपनी तववजुह के द्वारा शिष्य के हृदय में उस ऊर्जा को स्थापित कर देते है...
ध्यान का मतलब उसका (गुरु) का ख्याल ! हम ध्यान अपने गुरु कि बताई विधि से करते है और श्रद्धा भाव से सतत प्रयास...
अगोचरी- शरीर के भीतर नाद में सभी इंद्रियों के साथ मन को पूर्णता के साथ ध्यान लगाकर कान से भीतर स्थित नाद को सुनने...
आत्म अनुभूति और ईश्वर की अनुभूति, जहां व्यक्ति की आत्मा ब्रह्मांड की चेतना से जुड़ जाती है। जिसे यह उपलब्धि मिल जाती है, वह...