Guru Ji

गीता सार

गीता सार क्यों व्यर्थ की चिंता करते हो? किससे व्यर्थ डरते हो? कौन तुम्हें मार सकता है? आत्मा ना पैदा होती है, न मरती...

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सद्गुरु का अनुसरण

जो निष्ठापूर्वक सद्गुरु का अनुसरण करता है वह उसके समान हो जाता है, क्योंकि गुरु अपने शिष्य को अपने ही स्तर तक उठने में...

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मेरा जन्म

जानता हूं मेरा जन्म लेना ही मेरे पुनर्जन्म  के रहे शेष कर्मो का भुगतान ही कारण है  हा ये ही एक मुख्य कारण है...

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दर पे तेरे

दर पे तेरे आ के न जाने क्यों अपने आप शीश झुक जाता है देख कर दिल को  चैन ओर मन शांत हो जाता...

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गुरु, शिष्य ओर ध्यान

गुरु जब शिष्य को गहरा ध्यान करवाते है तो अपनी तववजुह के द्वारा शिष्य के हृदय में उस ऊर्जा को स्थापित कर देते है...

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ध्यान का मतलब

ध्यान का मतलब उसका (गुरु) का ख्याल ! हम ध्यान अपने गुरु कि बताई विधि से करते है और श्रद्धा भाव से सतत प्रयास...

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अगोचरी

अगोचरी- शरीर के भीतर नाद में सभी इंद्रियों के साथ मन को पूर्णता के साथ ध्यान लगाकर कान से भीतर स्थित नाद को सुनने...

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आत्म अनुभूति

आत्म अनुभूति और ईश्वर की अनुभूति, जहां व्यक्ति की आत्मा ब्रह्मांड की चेतना से जुड़ जाती है। जिसे यह उपलब्धि मिल जाती है, वह...

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