October 15, 2025 जब शून्य भी मिट जाए: आत्मा की अंतिम यात्रा ब्रह्म में विलय की ओर जब कोई साधक समाधि की अवस्था मे शुण्य को प्राप्त कर लेता है ये गुरु के द्वारा दृष्टिपात के बिना व सहयोग के बोना... Read More
October 14, 2025 सहस्त्रार चक्र में ओम: आत्मा और ब्रह्म के मिलन का नाद सहस्त्रार चक्र में ‘ओम’ का अनुभव एक अत्यंत दिव्य और सूक्ष्म प्रक्रिया है, जो साधक की साधना, ध्यान और आत्मिक शुद्धता के उच्चतम स्तर... Read More
October 10, 2025 आत्म-संयम, आराधना और गुरु-कृपा: आत्म-जागरण की त्रिवेणी ।आत्म-संयम, आध्यात्मिक आराधना और गुरु-कृपा — ये तीनों मिलकर आत्म-जागरण और मोक्ष की दिशा का निर्माण करते हैं।आत्म-संयमआत्म-संयम का अर्थ है—इंद्रियों, मन और इच्छाओं... Read More
October 9, 2025 अहंकार का टूटना और हृदय का मधुर पिघलना “मैं की मटकी क्या फूटी, हृदय मक्खन हो गया” एक आध्यात्मिक और भावनात्मक अभिव्यक्ति है, जिसमें मटकी फूटने का अर्थ है अहंकार (मैं या... Read More
October 7, 2025 जब आत्मा और ब्रह्म एक हों: ‘अब क्या बचा’ की दिव्यता उपनिषदों में यह सिद्धांत अद्वैत (एकत्व) के रूप में स्पष्ट किया गया है।कुछ प्रमुख उद्धरण इस भाव को प्रत्यक्ष रूप में प्रकट करते हैं:छांदोग्य... Read More
October 6, 2025 वीतरागी और नाद ब्रह्म: चेतना के परम सामरस्य का अनुभव वीतरागी में नादब्रह्म का अनुभव साधारण अनुभव से अलग होता है क्योंकि वीतरागी का मन पूर्णतया सांसारिक तृष्णा, वासना, और मोह से मुक्त होता... Read More