sohamkendra

गुरु देव की छत्र छाया

गुरु देव की छत्र छाया में रहकर भी जीव अधूरा हो नही सकता इसलिए जनाजा जब उठेगा तो उसके चेहरे वे वो मुस्कान होगी...

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बड़प्पन

लगता है नूर कुछ ऐसा तेरे चेहरे से जब भी देखता हूं तो देखता ही रहता हूं ओर तू कहता है कि कोई नूर...

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गुरु

जिसका निगाह बान गुरु हो उसे परेशानिया छू नही सकती अगर आ भी जाये दर पे तो खाली हाथ लिए लौट जाती है

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बरसात की  पहली फुवार

बरसात की  पहली फुवार कुछ इस तरह से तन को भिगो के शीतल कर जाती है जैसे खेत में मुरझाई फसल फिर हरी हो...

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