Guru Ji

विरक्ति का अर्थ

विरक्ति का अर्थ है संसार और उसकी वस्तुओं से मन का हट जाना, मोह-माया से ऊपर उठकर ईश्वर या आत्म-साक्षात्कार की ओर उन्मुख होना।...

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कुम्भ स्नान का महत्व

भारतीय दर्शन और योग शास्त्रों में शरीर को ब्रह्मांड का प्रतीक माना गया है, जिसमें गंगा, यमुना और सरस्वती नाड़ियों के रूप में मौजूद...

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अद्वैत और द्वैत

अद्वैत (Non-Dualism): मुख्य विचार: अद्वैत वेदान्त का तात्पर्य है “अद्वैत” अर्थात् एकत्व। इसमें आत्मा (जीव) और परमात्मा (ब्रह्म) के बीच कोई वास्तविक भेद नहीं...

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आध्यात्मिक फकीरी

आध्यात्मिक फकीरी एक ऐसी अवस्था या जीवनशैली है जिसमें व्यक्ति संसारिक इच्छाओं, भौतिक सुख-सुविधाओं और मोह-माया से मुक्त होकर, आत्मज्ञान और ईश्वर के साक्षात्कार...

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शरीर का धर्म

शरीर प्रकृति के नियमों के अधीन होता है। उसे भोजन, जल, नींद और स्वास्थ्य की आवश्यकता होती है। शरीर कर्मों के माध्यम से कार्य...

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विज्ञान और अध्यात्म दो अलग-अलग दृष्टिकोण हैं, जिनके सिद्धांत, उद्देश्य और तरीकों में मौलिक अंतर होता है। विज्ञान का दृष्टिकोण मापन और परीक्षण: विज्ञान...

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जब हम।किसी उच्चवह कोटि के संत के अनुयायी बन के दीक्षा लेने के बाद भक्ति ज्ञान ध्यान की अवस्था को पार कर समाधि की...

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गहन समाधि की अवस्था में सत्त्व गुण (सात्त्विक तत्व) अधिक सक्रिय रहता है। इसके कुछ प्रमुख कारण हैं: समाधि में मन पूरी तरह से...

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पंचतत्वों में से वायु और आकाश तत्व ध्यान अवस्था में शरीर को भारहीन (हल्का) महसूस करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वायु तत्व हल्केपन,...

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कई आध्यात्मिक परंपराओं में यह माना जाता है कि पूर्ण गुरु अपने शिष्य का मार्गदर्शन न केवल जीवन में बल्कि मृत्यु के बाद भी...

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