आध्यात्मिकता में जब शिष्य गुरु के अधीन *रह कर विकार मुक्त हो प्रेम ज्ञान भक्ति को समझ ध्यान और* समाधि की ** अवस्था को...
कब गुरु द्वारा दी गई ऊर्जा से उतपन्न प्रकाश या शब्द का आभाष ही साधक को न रहे यदि साधक ध्यान करते करते ऐसी...
हृदय कलम तै जोति बिराजै । अनहदनाद निरंतर बाजै ब्रह्म को अपने घट के भीतर ही जानना, उसका प्रत्यक्ष साक्षात्कार करना- ब्रह्मज्ञान
नाद अर्थात ‘नकार’ यानी प्राण (वायु) वाचक तथा ‘दकार’ अग्नि वाचक है , अतः जो वायु और अग्नि के संबंध (योग) से उत्पन्न होता...
हम जानते है कि आध्यात्मिकताकी शिक्षा में गुरु वह पुल है या सेतु है जो शिष्य को अपने ज्ञान से ईश्वर से जोड़ता है और...
गुरु के द्वारा शिष्य बनाने पर गुरु अपनी ऊर्जा शक्ति दीक्षा के माध्यम से शिष्य के शरीर मे स्तिथ हृदय पर अपनी नजर या...
उसके जहां में न चरित्र न चरित्रहीनता का कोई महत्व है अगर जन्म लिया है तो नैतिकता के आचरण में जीना होगा वरना ये...
आज फिर मन के रूप लिए आईने में अपने को देखा तो लगा अंदर ही अंदर मैं परेशान ही कुछ चिंतित पर घबराया हुआ...
हो अगर मुझे पाने और मुझमे लय हो मिलने की तमन्ना तो बस एक काम करना होगा बसा कर मुझे दिल मे सिर्फ मेरा...
गुरु एक जागृत ईश्वर है, जो शिष्य के भीतर सुप्त ईश्वर को जगा रहा है।” कितना सुंदर है न यह? “दया तथा गहन अंतर्दृष्टि...