Guru Ji

उच्च समाधि

कब गुरु द्वारा दी गई ऊर्जा से उतपन्न प्रकाश या  शब्द  का आभाष ही साधक को न रहे  यदि  साधक ध्यान करते करते ऐसी...

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ब्रह्मज्ञान

हृदय कलम तै जोति बिराजै । अनहदनाद निरंतर बाजै ब्रह्म को अपने घट के भीतर ही जानना, उसका प्रत्यक्ष साक्षात्कार करना- ब्रह्मज्ञान

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नाद का अर्थ

नाद अर्थात ‘नकार’ यानी प्राण (वायु) वाचक तथा ‘दकार’ अग्नि वाचक है , अतः जो वायु और अग्नि के संबंध (योग) से उत्पन्न होता...

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गुरु वह पुल है…

हम जानते है कि आध्यात्मिकताकी शिक्षा  में गुरु वह पुल है या सेतु है जो शिष्य को  अपने ज्ञान से ईश्वर से जोड़ता है और...

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आज फिर मन के रूप लिए

आज फिर मन के रूप लिए आईने में अपने को देखा तो लगा अंदर ही अंदर मैं परेशान ही कुछ  चिंतित पर घबराया हुआ...

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हो अगर मुझे पाने

हो अगर मुझे पाने और मुझमे लय हो मिलने की तमन्ना तो बस एक काम करना होगा बसा कर मुझे दिल मे सिर्फ मेरा...

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गुरु एक जागृत ईश्वर है

 गुरु एक जागृत ईश्वर है, जो शिष्य के भीतर सुप्त ईश्वर को जगा रहा है।” कितना सुंदर है न यह? “दया तथा गहन अंतर्दृष्टि...

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