उपनिषदों में यह सिद्धांत अद्वैत (एकत्व) के रूप में स्पष्ट किया गया है।कुछ प्रमुख उद्धरण इस भाव को प्रत्यक्ष रूप में प्रकट करते हैं:छांदोग्य...
वीतरागी में नादब्रह्म का अनुभव साधारण अनुभव से अलग होता है क्योंकि वीतरागी का मन पूर्णतया सांसारिक तृष्णा, वासना, और मोह से मुक्त होता...
उपनिषदों के अनुसार, नाद ब्रह्म (शब्द-ब्रह्म) वह दिव्य ध्वनि है जिससे ब्रह्मांड की उत्पत्ति होती है। यह अनाहत नाद कहलाता है, जो किसी भी...
वेदों में वर्णित नाद ब्रह्म वह दिव्य अनाहत ध्वनि है जो ब्रह्म के स्वरूप और परमात्मा का अनंत, नित्य और शुद्ध स्वरूप है। इसे...
किसी भी उच्च साधक जिसे संत कहा जाता है, जब वह समाधि की अवस्था में होता है, तो उसका शरीर और चेतना आकाश तत्व...
शून्य में शून्य मिलने और अंतः एकात्मकता के दर्शनिक तथा आध्यात्मिक अर्थों पर विस्तृत व्याख्या इस प्रकार है:दर्शनिक अर्थशून्यता और पूर्णता का यह विचार...
गुरु अपने मनचाहे शिष्य को शक्तिपात इसलिए करते हैं ताकि उस शिष्य को दिव्य ऊर्जा, ज्ञान और आत्मज्ञान की जागृति मिल सके। शक्तिपात एक...
आज दशहरे के दिन बरसात में भीमकाय रावण के पुतले को भीगते देखा और पल भर में उनका रूप विकृत हो गया उनको जलने...
आज दशहरे के दिन बरसात में भीमकाय रावण के पुतले को भीगते देखा और पल भर में उनका रूप विकृत हो गया उनको जलने...
“जीवित वीतरागी” का अर्थ है – ऐसा साधक या महापुरुष जो जीवन रहते हुए (शरीर सहित) राग-द्वेष से मुक्त हो चुका है।अध्यातम दुनिया मे...