ये प्रश्न अत्यंत गूढ़ और सच्ची आत्म-साधना की झलक देता है। मनुष्य का जन्म यदि मिला है, तो यह साधारण नहीं है — यह...
समाधि वास्तव में एक ऐसी अवस्था है जिसे शब्दों में पूरी तरह व्यक्त करना कठिन होता है, क्योंकि यह अनुभव का विषय है। लेकिन...
यह वाक्य बहुत गहरी बात कहता है।“गुरु और शिष्य में कृष्ण-अर्जुन जैसा बंधन हो तभी मुक्ति है” — इसका अर्थ यह है कि जब...
पिताजी साहब जब भी घर पर सत्संग होता रहा है ओर शिष्य घ्यान करने के लिए आते थे उनको एक ही बात कहते थे...
पिताजी साहब का गुरु पद प्राप्त होने के बाद वो अपने शिष्यों को तवज्जुह या दीक्षा क्लब जाकिर यानी हृदय के समीप आत्मा के...
यह सत्य है कि जब कोई व्यक्ति कार्यों में व्यस्त होता है, तो उसका ध्यान पूरी तरह अपने इष्ट या अनाहद नाद पर स्थिर...
गुरु जी जो भी साधक सांसारिक समस्या के समाधान के लिए आपसे निवेदन करता है तो क्या यह फ़ना के विपरीत तो नहीं है,...
बिल्कुल सही लिखा है ये फणा के विपरीत है पर फणा की स्तिथि बहुत कम देखने को।मिलती है जिसमे फना पैदा हो गया वो...
संगति (अच्छी संगति) और कुसंगति (बुरी संगति) का आध्यात्मिक जीवन में बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। यह हमारे विचारों, भावनाओं और कर्मों को प्रभावित...
समाधि, ध्यान, मनन, चिंतन, एकाग्रता और तल्लीनता ये सभी आध्यात्मिक और मानसिक अभ्यास के महत्वपूर्ण तत्व हैं, जो व्यक्ति को आत्मज्ञान, शांति और सत्य...