जीव दो प्रकार के होते हैं- बद्ध जीव और मुक्त जीवl\ जब जीव को आत्मज्ञान हो जाता है, वह अपने स्वरूप को पूर्णरूप से...
आकाशस्याधिपो विष्णुरग्नेश्चैव महेश्वरी। वायोः सूर्यः क्षितेरीशो जीवनस्य गणाधिपः॥ अर्थात आकाश तत्व के अधिष्ठाता विष्णु, अग्नि तत्व की अधिष्ठात्री देवी दुर्गा, वायु तत्व के अधिष्ठाता...
खेचरी मुद्रा इस मुद्रा की साधना के लिए पद्मासन में बैठकर दृष्टि को दोनों भौहों के बीच स्थिर करके फिर जिह्वा को उलटकर तालु...
जिन्होंने अपने आंतरिक अस्तित्व पर परिश्रम किया, अपनी आंतरिक व्ययवस्था को पवित्र किया, आत्मा को जाग्रत किया और आध्यात्मिकता की सहायता से ईश्वर को...
जब भी उसको याद करता हु तो यही चाहत होती है तेरी नजर मुझ पर बनी रहे और तेरी नजरे इनायत यू ही प्रेम...
प्रेमा भक्ति’ किसे कहा जाता है? पूर्वानुराग , आदर ,श्रद्धा और भक्ति के बाद अनन्य प्रेम की अवस्था हीं प्रेम भक्ति कहलाती है ।...
सख्य: ईश्वर को ही अपना परम मित्र समझकर अपना सर्वस्व उसे समर्पण कर देना तथा सच्चे भाव से अपने पाप पुण्य का निवेदन करना।...
परा –वाणी लेखक समर्थ सदगुरू महात्मा श्री रामचन्द्र जी महाराज ( श्री लालाजी महाराज ) (समर्थ सद्गुरु महात्मा श्री रामचंद्र जी महाराज द्वारा उर्दु ...
राम सन्देश – फरवरी, 1973. जिज्ञासा एक प्रेमी भाई के ह्रदय में यह बात घिर आई है कि अब तो श्री गुरुदेव परमसन्त...
इंसानी क़ल्ब (हृदय) की मिसाल एक किले जैसी है और शैतान एक ऐसा दुश्मन है जो हर वक्त उस किले पर हमला करके कब्जा...