जब शरीर की आत्मा गहन समाधि अवस्था मे पहुच जाती है और उस स्थान पर पहुच जाती है जहाँ से लौटना असम्भव है ये...
हवाओं का वो झोंका, जो तेरे नाम की खुशबू लिए आए,जैसे सहर की नर्म चादर है, जो रूह को छू जाए।शहर-से मेरा दिल थम...
गुरु-शिष्य संबंध को परलौकिक बनाने वाले साधन शास्त्रों और परंपराओं में मुख्यतः निम्नलिखित माने जाते हैं:साधना और समर्पणगुरु-शिष्य संबंध की परलौकिकता का पहला और...
हनुमान, मीरा और राधा तीनों की भक्ति अलग-अलग प्रकार की है और उनकी भक्ति का स्वरूप तथा उनका आदर्श अलग है, इसलिए सीधे तुलना...
“मैं से मैं की पहुँच और तू बीच में फिर क्या हो” एक रहस्यात्मक सूक्ति या सूफियाना चिंतन जैसी लगती है, जिसमें गहरी आत्मबोध...
एकत्ववाद का अर्थ है “एकता का सिद्धांत” या “मौनवाद” जिसमें सभी वस्तुओं, जीवों, और घटनाओं की वास्तविकता में एक ही मूल तत्व या सार...
आज्ञा चक्र, प्राणवायु चक्र, सहस्रार चक्र, मूर्धा, कूर्म नाड़ी, प्राण और आत्मा का गमन, ऊर्जा के सहारे चक्र भेदन और गुरु द्वारा शक्तिपात —...
“मैं” (अहं, अहंकार, व्यक्तिगत पहचान) और “तू” (ईश्वर, परमसत्ता, या दुसरा/अन्य) के बीच के संबंध की खोज है।व्याख्या”जानता हूं मैं का अस्तित्व नहीं है”...
संत किंगद्दी जैसे उच्च कोटि के संतों का हकफसर (उत्तराधिकारी) आमतौर पर उनके परिवार वाले ही होते हैं, न कि अन्य काबिल शिष्य, क्योंकि:पारंपरिक...
आज्ञा चक्र, प्राणवायु चक्र, सहस्रार चक्र, मूर्धा, कूर्म नाड़ी, प्राण और आत्मा का गमन, ऊर्जा के सहारे चक्र भेदन और गुरु द्वारा शक्तिपात —...