रावण क्रोधित हो उठता है, पर वध नहीं करता क्योंकि वह उन्हें दूत मानता है। इसलिए किसी भी दूत को मर्त्यु की सजा नही...
अगर से संस्कार नही तो जन्म व्यर्थ हैअगर गुण नही तो जीवन व्यर्थ है।अगर सादगी नही तो दिखावा व्यर्थअगर मौत नही तो जन्म व्यर्थ...
गुरु: अज्ञान से ज्ञान की ओरगुरु शब्द संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है: ‘गु’ (अंधकार) और ‘रु’ (प्रकाश)। अर्थात, गुरु वह है...
“जब जन्म और मरण दोनों ही अनिश्चित हैं…”जीवन और मृत्यु पर किसी का पूर्ण नियंत्रण नहीं है, और ये दोनों ही रहस्य से भरे...
शिवजी की जटाओं में गंगा को समाहित करने की कथा केवल पौराणिक गाथा नहीं है, बल्कि शिवजी की आध्यात्मिक साधना की ऊंचाइयों को दर्शाता...
**गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः।गुरु साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥ **इस मंत्र में गुरु को साक्षात् परम ब्रह्म कहा गया है, जो शिष्य...
आत्मिक विश्वास या ईश्वर में भरोसा जरूरी नहीं कि किसी धोखे की उपज हो। यह चेतना की एक दिशा भी हो सकता है —...
शिव की जटाएं यह दर्शाती हैं कि उन्होंने अपनी जीवन ऊर्जा को भीतर की ओर मोड़ा है (उर्ध्वगामी ऊर्जा)।जब गंगा उनकी जटाओं में आती...
कर्म, धर्म और गृहस्थ जीवन का हिंदू दर्शन में विशेष महत्व है, क्योंकि ये तीनों एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हैं और जीवन के...