Vachan

अनाहद नाद (Anahad Nada) योग, तंत्र, और भारतीय अध्यात्म में एक गहन अवधारणा है, जो आंतरिक ध्वनि या “बिना आघात की ध्वनि” को संदर्भित...

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“सुरीति निरति का पीव है, शब्द विलास विनोद” शब्दार्थ: सुरीति = उत्तम आचरण / शुभ नीति निरति = लगन, गहरी रुचि पीव = प्रियतम...

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“सुरीति निरति का पीव है, शब्द विलास विनोद” शब्दार्थ: सुरीति = उत्तम आचरण / शुभ नीति निरति = लगन, गहरी रुचि पीव = प्रियतम...

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“जिस घर में धर्म का निवास होता है…” इस भाग में यह बताया गया है कि एक ऐसा घर जहाँ धार्मिकता, सदाचार, और नैतिक...

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दोहा:“गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय।बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो बताय॥” शाब्दिक अर्थ:अगर गुरु और ईश्वर दोनों एक साथ सामने हों, तो पहले...

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मेरे पतिं एक अद्वितीय व्यक्तित्व के धनी हैं, जो आध्यात्मिकता, सेवा और ज्ञान के अद्वितीय संगम को दर्शाते हैं। सोहम ध्यान योग केंद्र के...

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के विकारों पर नियंत्रण और मन को स्थिर करने के उपायों पर सोच-विचार करना आत्मिक उन्नति की दिशा में पहला कदम है। चलिए इसे...

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गंगा, यमुना और सरस्वती का प्रतीकात्मक अर्थ: गंगा, यमुना और सरस्वती केवल भौतिक नदियाँ नहीं हैं, ये मानव शरीर और योगिक चेतना में बहने...

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शिष्य यदि अज्ञानी हो — तो भी वह सच्चे हृदय से सद्गुरु की तलाश कर सकता है। ज्ञान की शुरुआत ही जिज्ञासा और विनम्रता...

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जब कोई महात्मा या सद्गुरु अपनी दिव्य शक्ति के द्वारा शिष्य के शरीर, मन और आत्मा के हर कण में अपनी ऊर्जा का संचार करता है, तो शिष्य एक अनहद (असीम और अवर्णनीय) अनुभव में प्रवेश करता है। यह अनुभव सामान्य इंद्रियों की सीमा से परे होता है। यदि शिष्य इस अवस्था को पहचान कर पूर्ण समर्पण भाव से अपने गुरु के चरणों में अर्पित हो जाए, तो वह पूर्णता (आत्मिक सिद्धि या मोक्ष) की ओर अग्रसर हो जाता है।

इस मार्ग में आगे बढ़ने के लिए शिष्य में सत्यनिष्ठा (सत्य के प्रति दृढ़ता), समर्पण, समभाव (सबके प्रति समान दृष्टि) और सम्यकता (सही दृष्टिकोण...

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