योगी की आत्मा की स्थिति, जो अनाहद (अशब्द) के बाद शुण्य, महाशुण्य, और सेलय की ओर जाती है, वह ध्यान और समाधि की अत्यंत...
आध्यात्मिकता में गुरु की दी हुई अनाहद (अनाहत नाद) का महत्व बहुत उच्च होता है। गुरु द्वारा दी गई अनाहद की प्राप्ति आध्यात्मिक साक्षात्कार...
सूफ़ी कहावत “शीश कटे गर सत-गुरु मिले, तो भी सस्ता जान” का अर्थ है कि यदि कोई शिष्य अपने अहंकार और माया का शीश...
मेरी सोच व अनुभव के अनुसार जब हम गहन समाधि में स्थिर हो शुण्य महसूस करते है और चारो तरफ के वातावरण से मुक्त...
अनाहद नाद (आवाज़) का अनुभव ध्यान में हमारे अंदर की प्रगति का गहरा और सूक्ष्म संकेत है; यह कोई बाहर की संगीत ध्वनि नहीं,...
गुरु से मार्गदर्शन कब और कैसे मांगें, इसके लिए मुख्य बातें इस प्रकार हैं:कब मांगे मार्गदर्शनजब साधना या जीवन के किसी भी क्षेत्र में...
पतांजलि योग के अनुसार ध्यान और समाधि की प्राप्ति अष्टांग योग के आठ चरणों के पालन से होती है: यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार,...
किसी भी उच्च कोटि के संत जो गद्दी नसीन होते है और पूर्ण होते है उन संत के द्वारा नियम पूरक दीक्षित कर बैत...
इंसान की हक़ीक़त उसका शरीर (जिस्म) नहीं, बल्कि उसकी असली हक़ीक़त उसकी आत्मा (रूह) है। आचार्य प्रशांत के अनुसार आत्मा परम सत्य है, जो...
अध्याय: गुरु-निजशब्द और आत्म-एकत्व का रहस्य१. उपोद्घातउपनिषदों में कहा गया है कि ब्रह्मविद्या वही है जो श्रोतव्य, मन्तव्य, और निदिध्यासन के माध्यम से शिष्य...