“स्वम् को जानना” अर्थात अपनी असली पहचान को समझना, भारतीय दर्शन व योग मार्ग की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जाती है। यदि जीवन मुक्त...
प्रेम, भक्ति, ज्ञान और विश्वास भारतीय अध्यात्म में एक-दूसरे से गहरे जुड़े हुए चार मूल तत्व हैं। इनका अलग-अलग भी महत्व है, परंतु जब...
यह बात अत्यंत गहरी और सटीक है। बाहरी सुंदरता और शारीरिक आकर्षण का मूल्य तभी तक है, जब तक मनुष्य का दिल — उसका...
आध्यात्मिक जीवन में सय्यम (Self-control) और धैर्य (Patience) एक नैतिक शिष्य के लिए अनिवार्य गुण हैं, क्योंकि यही दोनों साधना को स्थिर, शुद्ध और फलप्रद बनाते हैं ।संयम का महत्वसंयम...
Pitaji ne बहुत गहरी और सुंदर बात कहि है — इसमें साधक और गुरु के अद्वैत संबंध का सार निहित है। जब ध्यान की...
गुरुदेव कह रहे हैं कि— “मुझे वही देख सकता है जो अंधा हो; वही सुन सकता है जो बहरा हो; और वह ही समझ...
जब कोई साधक समाधि की अवस्था मे शुण्य को प्राप्त कर लेता है ये गुरु के द्वारा दृष्टिपात के बिना व सहयोग के बोना...
सहस्त्रार चक्र में ‘ओम’ का अनुभव एक अत्यंत दिव्य और सूक्ष्म प्रक्रिया है, जो साधक की साधना, ध्यान और आत्मिक शुद्धता के उच्चतम स्तर...
।आत्म-संयम, आध्यात्मिक आराधना और गुरु-कृपा — ये तीनों मिलकर आत्म-जागरण और मोक्ष की दिशा का निर्माण करते हैं।आत्म-संयमआत्म-संयम का अर्थ है—इंद्रियों, मन और इच्छाओं...
“मैं की मटकी क्या फूटी, हृदय मक्खन हो गया” एक आध्यात्मिक और भावनात्मक अभिव्यक्ति है, जिसमें मटकी फूटने का अर्थ है अहंकार (मैं या...